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अमेरिका में अध्ययन और भारतीयों के लिए वीजा की चुनौतियां: ग्रीन कार्ड की कमी और EB-5 वीजा में कटौती

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अमेरिका लंबे समय से भारतीय छात्रों और निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य रहा है। भारतीय नागरिक अमेरिकी शिक्षा प्रणाली और अवसरों का लाभ उठाने के लिए बड़ी संख्या में वहां जाते रहे हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में, अमेरिका में भारतीयों के लिए वीजा और ग्रीन कार्ड प्रक्रिया में कठिनाइयां बढ़ गई हैं। ग्रीन कार्ड में कमी, EB-5 वीजा में कटौती और आव्रजन नीतियों में बदलावों ने भारतीय छात्रों और निवेशकों को नए संकटों में डाल दिया है।

अमेरिकी ग्रीन कार्ड और EB-5 वीजा: एक परिचय

ग्रीन कार्ड क्या है?

अमेरिकी ग्रीन कार्ड एक ऐसा दस्तावेज़ है जो धारक को स्थायी रूप से अमेरिका में रहने और काम करने की अनुमति देता है। यह वीजा से अलग है, क्योंकि यह अनिश्चितकालीन स्थायित्व का अधिकार देता है। कई भारतीय ग्रीन कार्ड प्राप्त करने के लिए H-1B वीजा या अन्य अस्थायी वर्क वीजा के तहत अमेरिका में नौकरी करते हैं, जो आगे चलकर उन्हें स्थायी निवास प्राप्त करने का मौका देता है।

EB-5 वीजा क्या है?

EB-5 वीजा एक प्रकार का निवेश वीजा है जो उन विदेशी नागरिकों को दिया जाता है, जो अमेरिका में न्यूनतम $800,000 का निवेश करते हैं और इसके बदले में ग्रीन कार्ड प्राप्त करने की अर्हता रखते हैं। यह वीजा प्रोग्राम विशेष रूप से उन धनी विदेशी निवेशकों के लिए है जो अमेरिका में रोजगार के अवसर उत्पन्न करने के लिए निवेश करते हैं। भारतीय नागरिकों ने इस प्रोग्राम के तहत बड़ी संख्या में निवेश किया है, और चीन के बाद यह सबसे बड़ा देश बन गया है जो EB-5 वीजा प्राप्त करता है।

भारतीयों के लिए ग्रीन कार्ड की कमी के कारण

  1. वेटिंग लिस्ट की समस्या

भारतीय नागरिकों को ग्रीन कार्ड प्राप्त करने के लिए लंबी प्रतीक्षा सूची का सामना करना पड़ता है। H-1B वीजा धारक भारतीय नागरिकों की संख्या अत्यधिक होने के कारण, ग्रीन कार्ड की मांग बहुत अधिक है, जबकि हर देश के लिए ग्रीन कार्ड कोटा सीमित होता है। अमेरिका हर साल विभिन्न देशों को ग्रीन कार्ड देने के लिए एक निश्चित संख्या निर्धारित करता है, और भारत के मामले में इस कोटा से अधिक आवेदन होते हैं। इससे हजारों भारतीयों को सालों तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है, और कुछ मामलों में तो यह प्रतीक्षा 10-15 साल या उससे अधिक भी हो सकती है।

  1. देशवार कोटा सिस्टम

अमेरिका में ग्रीन कार्ड प्रक्रिया एक “कंट्री कोटा सिस्टम” पर आधारित है, जहां प्रत्येक देश के आवेदकों के लिए एक समान संख्या में ग्रीन कार्ड आवंटित होते हैं, चाहे उस देश के आवेदकों की संख्या कितनी ही अधिक क्यों न हो। भारत और चीन जैसे देशों से ग्रीन कार्ड के आवेदकों की संख्या अत्यधिक होती है, जबकि अन्य देशों से कम आवेदन आते हैं। इससे भारतीयों के लिए ग्रीन कार्ड की प्रतीक्षा अवधि बहुत लंबी हो जाती है।

  1. पोलिटिकल और इमिग्रेशन नीतियों में बदलाव

हाल के वर्षों में अमेरिकी आव्रजन नीतियों में बदलाव आए हैं। पहले के मुकाबले वीजा और ग्रीन कार्ड प्रक्रिया कठिन हो गई है, खासकर जब से डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल में आव्रजन पर सख्त नीतियां अपनाई गई थीं। हालाँकि जो बाइडेन की सरकार ने कुछ बदलाव किए हैं, लेकिन ग्रीन कार्ड प्रक्रिया की जटिलताएं अभी भी बनी हुई हैं। वीजा और ग्रीन कार्ड के नियमों में कड़े बदलाव और अनिश्चितता के कारण भारतीयों के लिए ग्रीन कार्ड प्राप्त करना और भी कठिन हो गया है।

  1. H-1B वीजा पर निर्भरता

अमेरिका में भारतीयों का एक बड़ा हिस्सा H-1B वीजा धारक है, जो अमेरिकी कंपनियों के लिए तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षेत्रों में काम करते हैं। H-1B वीजा एक अस्थायी कार्य वीजा है, लेकिन इसके माध्यम से ग्रीन कार्ड प्राप्त करने का मार्ग खुलता है। समस्या यह है कि H-1B वीजा धारकों की संख्या काफी अधिक है, लेकिन उन्हें स्थायी निवास देने के लिए उपलब्ध ग्रीन कार्ड की संख्या बेहद सीमित है। इसके चलते ग्रीन कार्ड की कमी और देरी का सामना करना पड़ता है।

EB-5 वीजा में 22% की कटौती: भारतीय निवेशकों के लिए झटका

EB-5 वीजा में कटौती का कारण क्या है?

हाल ही में एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि भारतीय निवेशकों के लिए EB-5 वीजा में 22% की कटौती हुई है। यह कटौती 10 अक्टूबर 2023 से 31 मई 2024 तक लागू रहेगी। इस अवधि के दौरान, भारतीय नागरिकों को चीन के नागरिकों की तुलना में 22% कम EB-5 वीजा आवंटित किए जाएंगे। यह कटौती कई कारणों से हो सकती है:

1. EB-5 वीजा की बढ़ती मांग

चीन के बाद, भारत EB-5 वीजा के लिए दूसरा सबसे बड़ा देश है, और वहां से बड़ी संख्या में निवेशक इस वीजा के तहत अमेरिका जाना चाहते हैं। EB-5 वीजा की मांग बढ़ने से अमेरिका को यह महसूस हुआ कि उन्हें इस वीजा के लिए नए कोटा या सीमाएं लागू करनी चाहिए।

2. आव्रजन पर सख्त नीति

हाल के वर्षों में अमेरिकी आव्रजन नीति में सख्ती आई है। डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में, विशेष रूप से आव्रजन के मुद्दों पर कठोर नियम लागू किए गए थे। हालांकि जो बाइडेन की सरकार ने कुछ मामलों में इन नीतियों में सुधार किया है, लेकिन फिर भी अमेरिका आव्रजन पर कड़े नियम अपनाए हुए है।

3. वित्तीय आवश्यकताओं में वृद्धि

2022 में, EB-5 वीजा के लिए न्यूनतम निवेश सीमा $500,000 से बढ़ाकर $800,000 कर दी गई थी। इससे छोटे निवेशकों के लिए यह वीजा प्रोग्राम और भी कठिन हो गया। भारतीय निवेशक, जिनमें से कई मिडल क्लास और अप्पर मिडल क्लास से आते हैं, इस नई वित्तीय सीमा के कारण प्रभावित हो सकते हैं।

भारतीय निवेशकों पर इसका प्रभाव

EB-5 वीजा में 22% की कटौती भारतीय निवेशकों के लिए एक बड़ा झटका है। जो निवेशक करोड़ों रुपये खर्च करके अमेरिका में स्थायी निवास प्राप्त करने की उम्मीद कर रहे थे, उन्हें अब अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। इस कटौती के कारण न केवल ग्रीन कार्ड प्राप्त करने में देरी होगी, बल्कि उन निवेशकों को भी नुकसान होगा, जिन्होंने अपने व्यवसाय या जीवनयापन के लिए अमेरिका में निवेश किया था।

अमेरिका में अध्ययन और विदेशी छात्रों की चुनौतियां

  1. F-1 वीजा प्रक्रिया में देरी

F-1 वीजा, जो कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों को अमेरिका में पढ़ाई करने के लिए जारी किया जाता है, भारतीय छात्रों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है। हालाँकि, हाल के वर्षों में वीजा प्रक्रिया में देरी और नियमों की जटिलताओं के कारण भारतीय छात्रों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। वीजा इंटरव्यू की लंबी प्रतीक्षा समय, वीजा अस्वीकृति की दरों में वृद्धि, और कोरोना महामारी के बाद आई अनिश्चितता ने कई छात्रों की योजनाओं को प्रभावित किया है।

  1. OPT और STEM क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा

अमेरिका में पढ़ाई के बाद छात्रों को Optional Practical Training (OPT) के तहत काम करने का अवसर मिलता है। विशेष रूप से STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित) क्षेत्रों में भारतीय छात्रों की संख्या अधिक है, लेकिन अब इन क्षेत्रों में भी प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। इससे रोजगार के अवसरों में कमी और वीजा विस्तार की कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

  1. H-1B वीजा की चुनौती

H-1B वीजा छात्रों के लिए पढ़ाई के बाद एक महत्वपूर्ण वर्क वीजा है। भारतीय छात्रों का बड़ा हिस्सा इस वीजा के तहत काम करता है, लेकिन H-1B वीजा की सीमित संख्या और इसके लिए लॉटरी प्रणाली के कारण हर छात्र को इसका लाभ नहीं मिल पाता। कई छात्र, जो अमेरिकी कंपनियों में काम करने की उम्मीद करते हैं, वे इस वीजा की प्रक्रिया में बाधाओं का सामना करते हैं।

अमेरिकी शिक्षा प्रणाली: अभी भी आकर्षण का केंद्र

कठिनाइयों के बावजूद, अमेरिका की शिक्षा प्रणाली अभी भी विश्व में शीर्ष पर है और भारतीय छात्रों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। अमेरिका के विश्वविद्यालय उच्च गुणवत्ता की शिक्षा, रिसर्च और नेटवर्किंग के अवसर प्रदान करते हैं। कई भारतीय छात्र अमेरिकी शिक्षा प्रणाली से प्रभावित होकर वहां की पढ़ाई और अवसरों का लाभ उठाते हैं।

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